Book Title: Laghu Pooja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 137
________________ १३६ शशि नयन गज विधु वरु वरु ए ( १४२१ ) नाम संवत्सर जाण ॥ज तृतीया सित शो तणी ए, शुक रवार प्रमाण ॥ जं० ॥ ५ ॥ पादर नगर विराजता ए, श्रीसंजव सुख कार ॥ ज० ॥ तास पसायथी ए रची ए, पूजा अष्ट प्रकार ॥ न॥६॥ ॥ कलश ॥ ॥ इह जगत् स्वामी मोहवामी, मो दगामी सुखकरू ॥ प्रभु प्रकल अमल अखंड निर्मल जव्य मिथ्या. तम हरू || देवाधिदेवा चरणसेवा, Jain Educationa InternatiBeasonal and Private Usev@nly.jainelibrary.org

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