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निर्मल, सिक साधन ललना। स्याहादसंगी तत्त्वरंगी, प्रथम ने दानेदता ॥ सविकल्प ने अविर कल्प वस्तु, सकल संशय बेदता॥२॥ ॥ पूजा ढाल॥श्रीपालना रासनी॥
॥जदाजद न जे विण लहीए, पेय अपेय विचार ॥ कृत्य अकृत्य न जे विण लहीए, ज्ञान ते सकल आधार रे ॥ ज०॥ सिण ॥ ३१ ॥ प्रथम ज्ञान ने पढ़ी अहिंसा, श्रीसिकांते नाख्युं ॥ झानने वंदो ज्ञान म निंदो, झा
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