Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra Author(s): Yatindravijay Publisher: Sankalchand Kisnaji View full book textPage 4
________________ प्रागोद्गार. भारतवर्षीय पवित्र और पूजनीय जैन तीर्थों को चार विभाग में विभक्त किये जा सकते हैं-१ प्रसिद्ध, २ प्रसिद्धपाय, ३ लुप्त, और ४ लुप्तप्राय । जो सारे भारतवर्ष में प्रख्यात, जिनकी प्रतिवर्ष आबालवृद्ध समी जैन यात्रा करते और जिनको हर हमेश स्मरगा में लाते हैं-ऐसे सिद्धाचल, गिरनार सम्मेतशिखर, शंखेश्वर, तारङ्गा, अर्बुदाचल. और केशरियाजी आदि तीर्थ प्रसिद्ध हैं । जो एकदेशीय हैं और देशविशेष में ही प्रायः प्रसिद्ध है, सर्वत्र नहीं, ऐसे-सोनागिर, भांडवा, रातामहावीर और कोरटाजी आदि तीर्थ प्रसिद्धमाय हैं। जिन्हों का केवल नामशेष ही सुन पडता है; परन्तु उनका कुछ भी अंश दृष्ट नहीं है, ऐसे-धर्मचक्र. धर्मरथ, सह्याद्रि आदि तीर्थ लुप्त हैं । और जो पतितावशिष्ट हैं, किसीके खंडेहर, किसीके चत्वर, किसीके मंडप, किसीके खंडित शिखर, और किसी की भीते आदि दिखाई देती हैं वे तीर्थ लुप्त-प्राय हैं । __प्रस्तुत कोरटाजी तीर्थ प्रसिद्ध-पाय माना जा सकता है । क्यों कि यह एकदेशीय है और इसे प्रायः बहुत थोडे जैन ही जानते हैं। कोरटाजी तीर्थ में चार सौधशिखरी जिनमन्दिर हैं, जिनमें तीन प्राचीन और एक नया है। नया मन्दिर अपनी बनावट और उच्चता में अद्वितीय है। जो इस पुस्तक में दिये हुए चित्र से स्वयं मालुम पड सकता है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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