Book Title: Karnamrut Prapa
Author(s): Jinvijay
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 8
________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला Jain Education International For Private & Personal Use Only रनवासिषवारिसरमांतछाड्रगदाधकमीपवनामनतषा तानसतप्रमादितयामयाफलमनिमतानःशंकरवायधावन वायोतरिकगणामानंमवालवतमुपाश्रितन्नदवउजवा-म मतरमाझवानिलवाझावानो सारस्छनएखानाप्राण जॉप्रातिप्तवोप्रास्तोमवरादवनक्षताकतिमा१८॥ नयनाषितम्श्रीरकरसामधारावावरावताकतिषी नापिनगवली मेघम्मीछानवालाशवप्रसुनिमिीतवसर विरो चित्राशसिातपक्षदशांतानंदनीयवनागरगर्य महिरनधीनता जाषितप्रधानाम्नालिस्लिाविभाग/ याघवाझलिखितंमयायविदमछाईवामनदो। विनीयतानक्तम्भकल्याणमल) श्री मंगलमम्बाश्री www.jainelibrary.org 'करुणामृत प्रपा'की हस्तलिखित प्राचीन प्रतिके अन्तिम पत्रकी प्रतिकृति

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