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पूजा आदि स्वयमेव प्रगटे छे. प्रेम त्यां प्रतिमा पूजा छे. साकारना प्रेम यी साकारनी पूजा थाय छे. अने निराकारना प्रेमथी निराकारनी पूजा थाय छे. साकारनी पूजा सिद्ध थया बाद निराकार प्रभुनी पूजा थइ शके छे. बाल जीवो, साकार प्रभुओनी भक्ति करीने हृदयनी शुद्धि करी शके छे. हृदयनी शुद्धि यया पछी ज्ञान प्रगटे छे अने ते ज्ञानथी निराकार प्रभुनी ध्यानरूप पूजा थाय छे. साकार पूजा ए प्रथम मोक्षमागर्नु पगथियुं छे. साकार पूजा करनार साकार प्रभु अने तेना वियोगमां साकार प्रभुनी तथा गुरुनी प्रतिमार्नु पूजन करे छ, तेनी दृष्टिमां प्रतिमामा साकार प्रभुनुं स्वरूप रमी रहे छे. - साकार प्रभुनी द्रव्य पूजाना अधिकारी गृहस्थो छे अने प्रभुनी भाव पूजाना अधिकारी मुनियो छे. जेवा प्रभुमां शुद्ध ज्ञानादि गुणो छ तेवा पोताना आत्मामांसत्ताए गुणो छे. प्रभुनी श्रद्धा प्रीतिथी प्रभुना गुणो प्राप्त करवा माटे प्रभु पूजानी आवश्यकता छे. प्रभुनी पूजा भक्ति करतां आत्मामा रहेला सद्गुणो प्रगटे छे अने आवरणो टळे छे, प्रभुना जे जे गुणोनुं बहु मान स्तवन करवामां आवे छे ते ते गुणो पोताना आत्मामां तिरोभावे-सत्ताए रहेला होय छे ते प्रगट थाय छे. प्रभुना गुणोर्नु बहु मान पूजा ते वस्तुतः पोताना आत्मानी पूजा छे, कारण के तेथी पोताना आत्मानी शुद्धि थाय छे अने गुणो प्रगटे छे. ___ ज्यारथी मनुष्यो छे त्यारथी गमे ते भाषामां अनेक रीते प्र. भुनी स्तुतिद्वारा पूजा करवानो रीवाज प्रवा करे छे श्री ऋषभदेव
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