Book Title: Kar Bhala Ho Bhala Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education Board View full book textPage 7
________________ PRE कर भला होभला आवाज सुनकर कुलधर बाहर आया- अरे भआजी आप? क्या बताऊँ बेटा ! तुम्हारे फूफाजी ने विदेश में व्यापार करके खूब अचानक कैसे आना हुआ? ||धन कमाया। हम सब सम्पत्ति लेकर जहाज से वापस आ रहे थे। और अकेली ऐसी हालत में कि अचानक समुद्र में भयंकर तूफान आ गया और हमारा जहाज | डूब गया। डूबते-डूबते मुझे जहाज का एक टुकड़ा हाथ लग गया। | जिसके सहारे में किनारे पर | पहुंची हूँ। बेटा! हाय, मैं | तो बेसहारा हो गई। कुलधर ने भुआजी को आश्वासन दिया और हवेली का एक कमरा उनके लिये खोल दिया आप चिन्ता शोक न करें। यहाँ आराम से रहें और धर्म-ध्यान में समयबितायें। हम आपकी सेवा करेंगे। भुआजी आराम से वहाँ रहने लगीं। एक दिन कुलानन्दा भुआजी के लिए खाना लेकर आई। देखा, भुआजी का कमरा भीतर से बन्द है। खिड़की की जाली में से भीतर झाँका तो उसकी आँखें फटी रह गईं an हैं ! इतने मूल्यवान रत्न भुआजी O U के पास हैं और वह ऐसी दरिद्र हालत में रहती हैं। उसनसाचा- एक-एक रत्न लाखों का होगा। इन रत्नों से तो मेरी पुत्रियों का विवाह आराम से हो जायेगा। वह विचारों में खोई उलटे पैर वापस लौट गई।Page Navigation
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