Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 29
________________ कर भला हो भला प्रातः मुँह अँधेरे ही अकेली आराम शोभा को लेकर वह कएँ। नागदेव तुरन्त प्रकट हुये और आराम शोभा को पर गई। आराम शोभा ने झुककर जैसे ही कुएँ में अपनी ! गिरने से पहले ही हाथों में उठा लिया। . परछाईं देखी, पण्डितानी ने पीछे से धक्का दे दिया। धम्म से पुत्री ! तेरे जीवन को यहाँ वह कुएँ में गिर पड़ी। गिरते-गिरते ही उसने पुकारा बहुत खतरा है, इसलिए अब तू मेरे साथ चल। हे नागदेव ! रक्षा करो! और वह उसे नागलोक ले गया। नागलोक के दिव्यभवन में आराम शोभा को बिठाकर यक्ष बोला यह मेरा भवन है, यहाँ तुम्हें किसी वस्तु की कमी नहीं है, प्रभु स्मरण करो और आनन्दपूर्वक रहो|Mola आराम शोभा का दिव्य उद्यान भी साथ-साथ नागलोक आ गया।

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