Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 30
________________ कर भला हो भला उधर सौतेली माँ ने तुरन्त अपनी बेटी को आराम शोभा की शय्या पर सुला दिया। जब दासियों ने उसको देखा, तो बोलीतुम कौन हो? हमारी स्वामिनी कहाँ हैं? अरे, अपनी स्वामिनी को नहीं पहचानतीं ! ये ही तुम्हारी स्वामिनी हैं। प्रसव के दोष का प्रभाव है। इसके कारण इसका रंग-रूप बदल गया है। तब बड़ी दासी बोली परन्तु आपका उद्यान कहाँ चला गया? कभी-कभी प्रसव-दोष के कारण देव रुष्ट हो जाते हैं तो ऐसा होता है, राजमहल में जाकर पूजा आदि करने पर सब ठीक हो जायेगा। चालीस दिन बाद राजा स्वयं आराम शोभा को लेने आया। नकली आराम शोभा को देखकर चौंक उठा तुम कौन हो? मेटी प्रिया आराम शोभा कहाँ है? oto स्वामी ! मैं ही हूँ आपकी आराम शोभा। देव माया से मेरा रूप बदल गया है। उद्यान भी चला गया है। यह प्रसव दोष है। कुछ म दिन बाद ठीक हो जायेगा। 26

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