Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 36
________________ आराम शोभा अपने पति, पुत्र के साथ सुखपूर्वक महलों में रहने लगी। समय बीतने लगा। एक दिन द्वारपाल ने आकर खबर दी महाराज, नगर के उद्यान में महाराज वीरभद्र पधारे हैं। Voed DOOG UGG GONE वाह ! कैसा शुभ समाचार है। कल हम सब मुनिश्री के दर्शनों के लिये जायेंगे। Acadeodoodव वववववववववववववववववववववव ववव अगले दिन पूरा राजपरिवार मुनिश्री के दर्शनों के लिये गया। प्रवचन सुनने के पश्चात् आराम शोभा ने पूछा-"गुरुदेव ! मेरे जीवन में इतने दुःख-सुख फिर दुःख आये, यह किन कर्मों का फल है।" आचार्यश्री ने उसका पूर्वजन्म सुनाते हुए कहा"तुम एक जन्म में कुलधर सेठ की आठवीं सन्तान थीं निर्भगा। वहाँ अपने पाप कर्मों के कारण पहले तुमने बहुत कष्ट सहे। फिर मणिभद्र सेठ का आश्रय पाकर तुमने धर्म आराधना की। अपनी धर्माराधना से तुमने मणिभद्र का सूखा उद्यान हरा-भरा करा दिया। मणिभद्र सेठ मरकर नागदेव (यक्ष) बना, तुम यहाँ अग्निशर्मा की पुत्री। तुमने नागदेव को शरण-दान दिया। तुम्हारी इस परोपकार भावना व अभयदान की नवृत्ति के प्रभाव से इस जन्म में नागदेव ने तुम्हें माया उद्यान दिया।" परोपकार का फल देर-सबेर अवश्य मिलता है। इसलिये कहते हैं-कर भला-हो भला। समाप्त नननननननननननन-5555ननननननननन वववleeleelवयवयवाचवायचा नननननननननननननननननननननननननननननननननGOGGEGOREGAON 32

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