Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 5
________________ कर भला हो भला वत्स ! अब मेरा अन्तिम समय आ गया है। परलोक प्रस्थान करने से पूर्व मैं तुम्हें दो बातें कहना चाहता हूँ। चम्पापुर में कुलधर नाम का एक साधारण गृहस्थ रहता था। कुलधर के पिता श्रेष्ठी धर्मधर बड़े ही धार्मिक और नीतिनिष्ठ गृहस्थ थे। उन्होंने एक दिन कुलधर को अपने पास बुलाकर कहा पिताजी, आप जो कहेंगे उसको पालन करने का मैं वचन देता हूँ। धर्मधर वत्स ! मैंने जीवन में सत्य, सरलता और सादगी को ही धर्म समझा है। तम भी इसी मार्ग पर बोले तो कभी कष्ट नहीं पाओगे।। | और जो भी कमाओ उसका एक-सोलहवा) पिताजी ! आपकी दोनों बातें भाग शुभ कार्यों में खर्च करना, तुम्हारी मैंने गाँठ बाँध लीं। मैं अवश्य लक्ष्मी कभी नहीं घटेगी। इनका पालन करूंगा। कुछ दिन बाद धर्मधर परलोकवासी हो गये।

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