Book Title: Kar Bhala Ho Bhala Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education BoardPage 25
________________ ककर भला हो भला आराम शोभा के घर से चली जाने के बाद| सिर खुजलाकर वह इसी का उपाय सोचतीउसकी सौतेली माँ सोचती रहती कैसे भी आराम शोभा कितना अच्छा होता . को मार दूं तो उसकी यदि इसके बदले मेटी जगह मेरी बेटी राजा की बेटी राजा की रानी रानी बन सकती है। बन जाती Is ' OG एक दिन उसने अपने पति से कहा देखो, श्रावण का महीना आ गया है, अपनी विद्युतप्रभा को लड्डू बहुत भाते थे न? मैं उसके लिए लड्डू बनाती हूँ। तुम लेकर जाओ। | पण्डितानी ने लड्डू बनाकर उनमें जहर मिला दिया, सोचा बस, ये लड्डू खाते ही वह तो मर जायेगी। फिर उसकी जगह मैं अपनी लड़की को रानी बनवा दूंगी। ठीक है दे दो, मैं कल चला जाता हूँ। लड्डू का डिब्बा लाकर पण्डित को देते हुये बोली लो, यह लड्डू और किसी को मत देना। मेरी बेटी विद्युतप्रभा को ही देना, वह कितनी खुश होगी, माँ, के हाथ के लड्डू खाकर। 21Page Navigation
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