Book Title: Kar Bhala Ho Bhala Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education Board View full book textPage 9
________________ पत्नी की बातों में आकर और रत्नों की चमक देखकर | कुलधर का मन भी फिर गया। उसने रत्नों की पेटी भुआजी को वापस नहीं की । रत्नों की चोरी से भुआजी का दिल बैठ गया। वह दिन-रात कलपती रहतीं Joon मेरा धन चुराने वाला कभी सुखी नहीं रहेगा। कर भला हो भला इधर कुलधर ने रत्नों को बेचकर सातों पुत्रियों का विवाह खूब धूमधाम से कर दिया और बाकी धन व्यापार में लगा दिया। एक दिन कुलधर दुकान पर बैठा था कि एक नौकर दौड़ता हुआ आया इसी आघात से एक दिन उसने प्राण छोड़ दिये। कुलधर दौड़कर आया, गोदाम में सामान जलता देखकर वह सिर पीटने लगा हाय, मैं तो बर्बाद हो गया। m सेठ जी, गजब हो गया। हमारे माल गोदाम में आग लग गई। कपड़ा, किराना आदि सब सामान जलकर राख हो गया। क्या ? DOC DO घर आकर उसने पत्नी को सब घटना सुनाई। कुलानन्दा पश्चात्ताप करने लगी। मैंने आजी की आत्मा को तड़फाया, उनकी चोरी की, उसी पाप का यह फल है। रत्नों की चमक देखकर मेरी मति भी मारी गई। पिताजी कहते थे, पाप का पैसा और बाढ़ का पानी कभी टिकता नहीं। Xo1o6Page Navigation
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