Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 17
________________ कर भला हो भला देवलोक से आयु पूर्ण कर निर्भगा के जीव ने बलासा गाँव में अग्निशर्मा ब्राह्मण के घर जन्म लिया। माँ का नाम अग्निशिखा था। कन्या का नाम विद्युतप्रभा रखा गया। विद्युतप्रभा दिखने में सुन्दर, चपल और बोलने में बड़ी मधुर थी। छः-सात वर्ष की हुई तो घर के सभी काम-काज में माँ का हाथ बँटाने लगी। विद्युतप्रभा लगभग दस वर्ष की हुई कि एक दिन अग्निशर्मा औषध लेने नगर में गया। पीछे से अग्निशिखा का बुखार अचानक उसकी माँ को तेज बुखार आ गया। अग्निशर्मा || बहुत तेज हो गया। वह कुछ देर बड़बड़ाती रही फिर उसे एक-दो ने उसकी नाड़ी परीक्षा की, तो चिन्तित होकर बोला- | हिचकी आईं और प्राण पखेरू उड़ गये। विद्युतप्रभा रोने लगी। बेटी ! तुम माँ के पास बैठो, मैं नगर में जाकर शीघ्र ही औषध लेकर आता हूँ। यह काला-बुखार बिना औषध के नहीं जायेगा। माँ-माँ ! क्या हो गया तुझे? रोने की आवाज सुनकर पास-पड़ोस की महिलायें आ गईं।

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