Book Title: Kar Bhala Ho Bhala
Author(s): Jain Education Board
Publisher: Jain Education Board

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Page 22
________________ कर भला हो भला देव ने अपना हाथ ऊपर उठाया-एक सुन्दर-सा बगीचा सामने लहलहाने लगा। देव ने कहा बाले ! इस उद्यान में तू NAR सदा घूमती रहना। इसके मधुर फले खाने से तेरी भूख-प्यास सब शान्त हो जायेगी। नहाँ तू जायेगी यह उद्यान > भी तेरे साथ-साथ रहेगा। देव वरदान देकर आकाश में उड़ गया। विद्युतप्रभा मुग्ध-सी होकर उद्यान की शोभा संध्या होने पर वह घर की तरफ चली तो उद्यान भी निहारने लगी। घूम-घूमकर उसके मीठे फल उसके पीछे-पीछे चलने लगा। गाँव के लोगों ने यह खाने लगी। कभी वृक्षों से लिपटकर झूमने दृश्य देखा तो आश्चर्य से बातें करने लगेलगती। वह आज अत्यन्त प्रसन्न थी। क्या मायावी कन्या है, यह? अरे! यह क्या चमत्कार है? इस लड़की VS के पीछे-पीछे उद्यान चला आ रहा है। घर आकर विद्युतप्रभा ने सारी घटना अग्निशर्मा को सुनाई। सौतेली माँ जल-भुन गई।

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