Book Title: Kar Bhala Ho Bhala Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education BoardPage 18
________________ कर भला हो भला तब तक अग्निशर्मा भी आ गया। पत्नी को मरी देखकर बहुत दुःखी हुआ। उसने पुत्री को छाती से लगाया। बेटी ! अब रोने से कुछ नहीं होगा। तेरी माँ हमें छोड़कर चली गई। अग्निशिखा का दाह-संस्कार कर दिया गया। अब समूचे घर का बोझ नन्हीं विद्युतप्रभा पर आ गया। वह सुबह चार बचे उठती, गायों की सेवा करती, फिर घर का काम सम्हालती। पिता के लिये भोजन बनाती। फिर गायों को चराने के लिये जंगल ले जाती शाम को घर आती फिर वही काम | पास-पड़ौस की औरतें अग्निशर्मा को समझातीपण्डित, यह नन्ही-सी जान और आसमान का बोझ ! क्या इसे भी, बेमौत मारना चाहते हो? क्या करूँ? अब घर अभी तो तुम्हारी उम्र भी कुछ को सँभालने वाला भी नहीं पैंतीस वर्ष के युवा हो, दूसरा ) तो कोई नहीं।/ विवाह क्यों नहीं कर लेते?Page Navigation
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