Book Title: Kar Bhala Ho Bhala Author(s): Jain Education Board Publisher: Jain Education BoardPage 12
________________ कर भला हो भला नन्दन पत्र देकर वापस आया तो कुलधर ने उसे|| मैं और विवाह? कौन) तुम में क्या कमी है? स्वस्थ स्वादिष्ट भोजन कराया और कहा माँ-बाप मुझ गरीब को हो, जवान हो, चलो मैं अपनी अपनी कन्या देंगे। कन्या तुम्हें देता हूँ। तुम परदेस में अकेले ही रहते हो, भोजन की कितनी तकलीफ पड़ती होगी? विवाह क्यों नहीं कर लेते यह सुनकर नन्दन हक्का-बक्का रह गया। वह कुछ बोलता, तब तक कुलधर ने निर्भगा को बुलाकर उसका हाथ नन्दन के हाथ में दे दिया। /ो आलो तुम्हारी हुई। | कुलानन्दा ने कुछ नये वस्त्र, दो चाँदी के सिक्के और रास्ते में खाने का सामान एक पोटली में बाँधकर दे दिया। नन्दन निर्भगा को लेकर चला। रात हो जाने से रास्ते में एक मन्दिर में दोनों रुके। निर्भगा ने खाना नन्दन को परोस दिया। नन्दन ने भोजन कर लिया। थोड़ा बहत बचा वह निर्भगा ने खा लिया। WS2 POOR Diamo और दोनों मन्दिर के अहाते में सो गये।Page Navigation
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