Book Title: Kalpsutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 12
________________ THORTHEATRINA कल्पसूत्र की विषयानुक्रमणिका विषयांकः पृष्ठाङ्कः विषयांकः१ भगवान के जन्मकाल का वर्णन १-१४ रखकर अपने अपने स्थान पर जाना ५७-६३ २ मेघङ्करादि दिक्कुमारियों का आगमन १५-२० ११ सिद्धार्थने मनाया हुवा भगवान के जन्म३ शकेंद्र के आसन का कंपित होना और महोत्सव का वर्णन ६४-७२ ___ भगवान के दर्शनार्थ उसका आना २१-२५ १२ त्रिशला द्वारा की गई पुत्र की प्रशंसाका वर्णन ७३-८३ ४ भगवान् के दर्शनार्थ आते हुए १३ भगवान् के नामकरण का वर्णन ८४-९० देवों का वर्णन २६-३१ १४ भगवान् की बाल्यावस्था का वर्णन ९१-९६ मा ५ भगवान के जन्ममहोत्सव के लिये भग- १५ भगवान् के कलाचार्य के समीप प्रस्थानका वान को लेकर शक्रेन्द्र का मेरु पर जाना ३२-४० वर्णन और कलाचार्य का भगवान के ६ भगवान् को उत्संग में लेकर अभिषेक आगमनकी प्रतीक्षा करना ९२-१०१ सिंहासन पर शक्रेन्द्र का बैठना ४१ ।। १६ भगवान् का कलाचार्य के समीप अध्य७ भगवान का जन्ममहोत्सव करने की इच्छा यन करने की अनुचितता का पतिपादन करना १०२ वाले देवों के मनोभाव का वर्णन ४२-४४ १७ भगवान् का कलाचार्य के पास जाना८ देवों के आनन्द, आठ प्रकार के कलश, जानकर शक्रेन्द्र का आसन कम्पायमान शक्रेन्द्र की चिंता और मेरुकंपन का वर्णन ४५-५० होना, शक्रेन्द्र का ब्राह्मण रूप से आकर ९ मेरु के कंपन से भुवनत्रय में रहे हुवे प्रश्न करके भगवान के सर्वशास्त्रज्ञ होने जीवों को भय होना, शक्रेन्द्र की चिन्ता, का प्रकाशन करना १०१-१०४ कम्पन के कारण को जानना, प्रभु से १८ भगवान् को सर्वशास्त्राभिज्ञ जानकर कला क्षमायाचना चार्यादिकों का परम आनन्दित होना १०५-१०६ अच्युतेन्द्रादिकों से किये हुये भगवान के १९ इन्द्र द्वारा किये गये प्रश्नों का उत्तर अभिषेक का वर्णन, सर्व देवों का श न्द्र के सुनकर लोगों का और कलाचार्य का साथ त्रिशला महारानी के पास भगवान को आनन्दित होना १०७-१०८ શ્રી કલ્પ સૂત્ર: ૦૨

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