Book Title: Kalpsutra Balavbodh
Author(s): Yatindravijay, Jayantsensuri
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 6
________________ ___(3) प्रकाशकीय विश्वपूज्य परम योगीराज श्री अभिधान राजेन्द्रकोशादि अनेक गद्यपद्य ग्रंथनिर्माता चारित्रचूड़ामणि महामनस्वी भट्टारक पूज्यपादाचार्यवर्य श्रीमद् विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज द्वारा संकलित श्री कल्पसूत्र-बालावबोध की प्रथमावृत्ति वि.सं. 1944 में प्रकाशित की गयी थी। इस ग्रंथ की द्वितीयावृत्ति वि.सं. 1988 में साहित्य विशारद विद्याभूषण शान्तमूर्ति आचार्यदेव श्रीमद् विजय भूपेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शासनकाल में तत्कालीन महामहोपाध्याय व्याख्यान-वाचस्पति श्रीमद् विजय यतीन्द्रविजयजी (पश्चात् आचार्यदेव व्याख्यान-वाचस्पति श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी) महाराज साहब ने इसी ग्रंथरत्न का सुव्यवस्थित रूप से प्रकाशन करवाया था। अत्यन्त उपयोगी एवं पठन-पाठन-प्रिय-ग्रंथ होने के कारण अल्पावधि में ही इसकी द्वितीयावृत्ति प्रकाशित की गयी। श्री अखिल भारतीय सौधर्म बृहत्तपागच्छीय त्रिस्तुतिक श्रीसंघ में सर्वत्र इस ग्रंथ के रुचिपूर्ण एवं श्रद्धापूर्ण स्वाध्याय के साथ ही अन्य विद्वद् समाज में भी यह ग्रंथ समादरणीय उच्च स्थान पा रहा है। इसका निःसंदेह हेतु यह है कि इस बालावबोध की भाषा लोकमानस को आकर्षित करने में पूर्णरूपेण सक्षम है। ___ साहित्याकाश में यह ग्रंथ एक दिव्य तेजोमय आत्मपथ-प्रदर्शन कराने में जाज्वल्यमान नक्षत्रतुल्य है। इसका प्रमाण स्वतःसिद्ध है कि वर्षों से पुनर्मुद्रण की आवश्यकता पुरजोर से सर्वत्र प्रतीत की जाने लगी है। हिन्दी भाषी लोगों के अत्याग्रह के कारण ही अब यह बालावबोध हिन्दी भाषा में प्रकाशित किया जा रहा है। ट्रस्टीगण श्री राज-राजेन्द्र-प्रकाशन ट्रस्ट अहमदाबाद

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