Book Title: Jain Sukta Sandoha
Author(s): Kailassagarsuri
Publisher: Kailas Kanchan Bhavsagar Shraman Sangh Seva Trust Mumbai

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Page 53
________________ ShiMahayeJainrachanaKendra www.kobatirth.org Achan Kailas a nmandi 爱器鉴器绕绕绕绕绕绕绕绕夢遊曉曉曉器张馨馨馨器等筑 ३७ पञ्चदशकर्मादानानि अंगार-वन-शकट-भाटक-स्फोटक जीविका । दन्त-लाक्षा-रस-केश-विषवाणिज्यकानि च ॥१॥ यन्त्रपीडा निर्लाञ्छनमसतीपोषणं तथा । दवदानं सरःशोष इति पञ्चदश त्यजेत् ॥ २ ॥ उ. स्तम्भ.९ व्या. १२३ ३८ अनर्थदंडव्रतम् शरीराद्यर्थदण्डस्य, प्रतिपक्षतया स्थितः । योऽनर्थदण्डस्तच्यागस्तृतीयं तु गुणवतम् ॥ १॥ उ. पा. स्त.९ व्या० १३१ आर्त रौद्रमपध्यानं, पापकर्मोपदेशिता । हिंसोपकारिदानं च, प्रमादाचरणं तथा ॥२॥ यो. तु. प्र. लो. ७३ ।। संयुक्ताधिकरणव मुपभोगातिरिक्तता । मौखर्यमथ कौकुच्य, कंदर्पोऽनर्थदण्डगाः ॥३॥ उ. प्रा. स्त.१० व्या० १३६ . ३९ सामायिकव्रतम् त्यतातरौद्रध्यानस्य, त्यक्तसावद्यकर्मणः । मुहूर्त समता या ता, विदुः सामायिकव्रतम् ॥ १॥ यो. तु. प्र. लो.८२ समता सर्वभूतेषु, संयमः शुभभावना । आत्तरौद्रपरित्याग-स्तद्धि सामायिकं व्रतम् ॥ २ ॥ अष्टालिका सामायिकं स्यात् त्रैविध्य, सम्यक्त्वं च श्रुतं तथा। चारित्रं तृतीयं तच्च, गृहिकमनगारिकम् ॥३॥ उ.स्त.१० व्या.१४० कायवाङ्मनसां दुष्ट-प्रणिधानमनादरः। स्मृत्यनुपस्थापनं च, स्मृताः सामायिकवते ॥ ४ ॥ यो. पृ. २०१ श्लो.११६ कर्म जीवं च संश्लिष्टं, परिज्ञातात्मनिश्चयः । विभिन्नीकुरुते साधुः, सामायिकशलाकया ॥५॥ यो. पृ. ६श्लो.५२ 张张张张张张张张张张张张张张张柴柴柴泰拳拳整器 For Private And Personal use only

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