Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 13
________________ पृष्ठ २०५ Gm Ko MN ३२ [ ] बोल नं० पृष्ट बोल नं० ४३ वा वोल-१५१-२५२२४ विजय १९८ RE४ प्रवचन संग्रह तयालीस १५१ / २५ दान १ धर्म | २६ तप २०२ २ नमस्कार महात्म्य १५३ अनासक्ति ३ निन्थ प्रवचन महिमा १५५ / २८ आत्म-दमन २०७ आत्मा १५६ | २६ रसना (जीभ)का संयम २१२ ५ सम्यग्दर्शन ! ३० कठोरवचन २१४ संम्यग्ज्ञान ३१ कर्मों की सफलता २१६ ७ क्रिया रहित ज्ञान कामभोगों की असारता २१८ ८ व्यवहार निश्चय ३३ अशरण २२२ ६ मोक्षमार्ग ३४ जीवन की अस्थिरता २२५ १० अहिसा-दया ३५ वैराग्य २२८ ११ सत्य ३६ प्रमाद १२ अदत्तादान (चोरी) ३७ राग द्वेष २३३ विरत ३६ कपाय १३ ब्रह्मचर्य-शील ३६ तृष्णा १४ अपरिग्रह परिग्रह ४० शल्य का त्याग |४१ आलोचना २४६ १५ रात्रि भोजन त्याग | ४२ आत्म-चिन्तन ૨૪s १६. भ्रमरवृत्ति १८५४३ क्षमापना २५० १७ मृगचर्या १८६ ४४ वां बोल- २५२ १८ सच्चा त्यागी | E६५ स्थावर जीवों की अव. १६ वमन किये हुए को ग्रहण । न करना १८६ गाहना के अल्प बहुत्व २० पूजा प्रशंसा का त्याग १६० के चवालीस बोल २५२ २१ रति अरति १६३ / ४५ वां बोल:-- - २५४ २२ यतन १६५/६६ उत्तराध्ययन सूत्र के २३ विनय १६५ रचीसवे अ० की २३१ २३६ २४४ १८ -

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