Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 12
________________ [८] प्रश्न बोल नं० पृष्ठ बोल नं० (३०) देवता कौनसी आषा ८४ उत्तराध्ययन सूत्र के बोलते हैं? १२५ दसवें दुमपत्रक १० । (३१) क्या ज्योतिष शास्त्र की की सैतीस गाथाएं १३३ तरह जैन शास्त्रों में भी । ३८ वां बोलः- १३४ पुष्य नक्षत्र की श्रेष्ठता ६८५ सूयगडांग सूत्र के . ' का वर्णन है१ १२६ ग्यारहवे मार्गाध्ययन की (३२) तेरह काठिये के बोलों __ अड़तीस गाथाएं १३६ का वर्णन कहाँ है ? १२६ | ३६ वां बोल:- १४४ (३३) धनुष के जीवों की ६ समय क्षेत्र के उनतरह क्या पात्रादि के चालीस कुल पर्वत १४४ जीवों को भी जीवरक्षा ४० वां बोला-- १४५ कारणक पुण्य का बंध ६८७ खरवादर पृथ्वीकाय के होता है ? १२८ चालीस भेद १४५ (३४) क्या 'माहण' का अर्थ दायक दोष से दूषित श्रावक भी होता है १ १२६ चालीस दाता भगवती श०८ उ०६ ४१ वां चोल:-- १४६ में तथारूप के आस- PEEE उदीरण विना उदय में यती अविरति को प्रासुक आने वाली इकताया अप्रासुक आहार लीस प्रकृतियाँ १४६ देने से एकान्त पाप होना किस अपेक्षा से ४२ वां बोलः- १९ बतलाया है१ १३० | ६६. आहारादि के बया लीस दोप अपनी ओर से किसी ६६१ नामकर्म की वयालीस को भय न देना ही प्रकृतियाँ क्या अभयदान का |LE२ आश्रव के बयालीस भेद ३७ वां बोल:-१३३-१३८ | E६३ पुण्यप्रकृतियाँ बयालीस १५० ३५ १३१ ।

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