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प्रश्न बोल नं०
पृष्ठ बोल नं० (३०) देवता कौनसी आषा ८४ उत्तराध्ययन सूत्र के
बोलते हैं? १२५ दसवें दुमपत्रक १० । (३१) क्या ज्योतिष शास्त्र की की सैतीस गाथाएं १३३
तरह जैन शास्त्रों में भी । ३८ वां बोलः- १३४ पुष्य नक्षत्र की श्रेष्ठता ६८५ सूयगडांग सूत्र के . '
का वर्णन है१ १२६ ग्यारहवे मार्गाध्ययन की (३२) तेरह काठिये के बोलों
__ अड़तीस गाथाएं १३६ का वर्णन कहाँ है ? १२६ | ३६ वां बोल:- १४४ (३३) धनुष के जीवों की
६ समय क्षेत्र के उनतरह क्या पात्रादि के
चालीस कुल पर्वत १४४ जीवों को भी जीवरक्षा ४० वां बोला-- १४५ कारणक पुण्य का बंध ६८७ खरवादर पृथ्वीकाय के
होता है ? १२८ चालीस भेद १४५ (३४) क्या 'माहण' का अर्थ
दायक दोष से दूषित श्रावक भी होता है १ १२६
चालीस दाता भगवती श०८ उ०६ ४१ वां चोल:-- १४६ में तथारूप के आस- PEEE उदीरण विना उदय में यती अविरति को प्रासुक आने वाली इकताया अप्रासुक आहार
लीस प्रकृतियाँ १४६ देने से एकान्त पाप होना किस अपेक्षा से
४२ वां बोलः- १९ बतलाया है१ १३०
| ६६. आहारादि के बया
लीस दोप अपनी ओर से किसी
६६१ नामकर्म की वयालीस को भय न देना ही
प्रकृतियाँ क्या अभयदान का
|LE२ आश्रव के बयालीस
भेद ३७ वां बोल:-१३३-१३८ | E६३ पुण्यप्रकृतियाँ बयालीस १५०
३५
१३१ ।