Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 11
________________ [] प्रम बोल नं0 प्रश्न पोल नं. इच्छा पर निर्भर है १ १०८ अलग क्यों कहे गये हैं १११८ (१४) अनुत्तर विमान में उत्पन्न । (२२) तीर्थङ्करों ने पांच महा जीव क्या नरक तिर्यञ्च व्रत और चार महाव्रत रूप के भव करता है? ११२ धमे अलग अलग क्यों (१५) अभव्य जीव अपर कहाँ कहा १ ११६ तक उत्पन्न होते हैं ? ११३ (२३) मोहनीय कर्म वेदता हुश्रा (१६) विविध गुण विशिष्ट जीव मोहनीय कमे श्रावक अन्तसमय पालो वांधता है या वेदनीय चना प्रतिक्रमण कर कर्म बांधता है? १२० संधारापूर्वक काल कर (२४) जाव हल्का भार मारा कहाँ उत्पन्न होते हैं ? ११४/ किस प्रकार होता है ? १२० (१७) विविध गुण सम्पन्न (२५) द्रव्य हिंसा में हिंसा का अनमार महात्मा इस लक्षण नहीं घटता फिर भव की स्थिति पूरी कर वह हिंसा क्यों कही कहाँ उत्पन्न होते हैं ? ११५ गई? ११ (१८) आठ कर्मों का क्षय (२६) क्या सभी मनुष्य एक करने वाले महात्मा यहाँ सी क्रियाकले होते हैं ११२१ की स्थिति पूरी कर कहां (२७) क्या पृथ्वी के जीव उत्पन्न होते हैं? ११७ अठारह पाप का सेवन (१६) व्रतधारी तिवञ्च अन्त करते हैं? १२२ समय विधि पूर्वक काल (स) द्रव्य और भाव मन कर कहां उत्पन्न होता का क्या स्वरूप है? क्या द्रव्य और भाव मन (२०) औपशमिक और क्षायिक एक दूसरे के बिना भी सम्यक्त्व में क्या होते हैं। १२२ अन्तर है? ११७/(२९) द्रव्य क्षेत्र काल भाव. (२१) सामायिक और छेदोप- इनमें कौन किससे स्थापनीय चारित्र अलग । Tam १२४

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