Book Title: Jain Siddhant Bhaskar
Author(s): Jain Siddhant Bhavan
Publisher: Jain Siddhant Bhavan

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Page 10
________________ भास्कर (३) पर तत्वों के तिग्म अंशु फैलाते । इतिवृत्त - जगत् सद्वृत्त' - सुधा - सरिता का, सीकर पीकर इठलाते ॥ (४) मतभेद- कुमुद - कुञ्जों को, कुंचित सद्भाव - प्रमुद - पुञ्ज को, समुदित करते करते कुम्हलाते । मुदमाते || (x) कुविचार - दिवान्ध खर्गों से, कुदृगों की दृष्टि नशाते । सुविचार - विपुल विहगों का, कल कोमल गान सुनाते || (६) / निज-अरुण किरण-मण्डल का, महि को मण्डन पहिनाते । साहित्य - शुभ्र पुष्कर के, प्रिय पुष्करः परम सुहाते । (७) मत्सरमलीन - उडुमाला, सत्वर सम्पूर्ण डुबाते | सहयोग-विधुर बिहगी" - उर, प्रिय-प्रणय-प्रभा चमकाते || (5) for कलित करों से प्यारे, नित ललित लवनता लाते । आते भास्वर 'भास्कर' का, स्वागत करते न अघाते ।। [ भाग २ १ सम्बक् चारित्र २ उलूक ३ आकाश १ कमल १ चक्रवाकी ६ 'करों' का विशेषण

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