________________
मुल्लूरका लेख
२३३ संघदरुङ्गळान्वयद गुणसेन-पण्डित-देवगर्गे माडिसि धारा-पूर्वक कोट्टरु ॥ (वही अन्तिम श्लोक)। [धर्म-सेष्टिके द्वारा लिखित ।
स्वस्ति । ( उक्त मितिको ), राजेन्द्र-कोङ्गाळ्बने, अपने पिता द्वारा निर्मित बसदिके लिये हेरुवनहळ्ळि, भरकनहळ्ळि, तथा निडुत गोडलुमें तीन खण्डगका दान दिया, और इसी तरह दूसरे गाँवोंमें (जिनके नाम दिये हैं)। __ और राजाधिराज कोङ्गाल्वकी माँ पोचबरसिने अपने गुरु दविळ-गण, नन्दि-संघ, तथा अरुङ्गळान्वयके गुणसेन-पण्डित-देवकी प्रतिमा बनवाकर जलधारापूर्वक इसे समर्पित की। शाप ।]
[EC, IX, Coorg tl., n° 35]
१९० __ मुल्लूर-संस्कृत तथा कमड़ [विना काल-निर्देशका, पर लगभग १०५८ ई. का]
_ [मुल्लूरमें, पार्श्वनाथ बस्तिके नीचे देहलीमें ] स्वस्ति श्री राजेन्द्र चोळकोङ्गाब्वन पुत्र श्री-रा"कोणाच" वास-स्थानमं तम्म गुरुगळ तिवुळ-गणदरुङ्गळान्वयद नन्दि-संघद गुणसेन-पण्डित-देवर्गे धारा-पूर्वकं कोर्ट मङ्गळ महा श्री श्री।
[स्वस्ति । राजेन्द्र-चोळ-कोङ्गाळ्वके पुत्र रा. कोङ्गाळ्वने तिवुळ-गण, अरुजालान्वय और नन्दि-संघके अपने गुरु गुणसेन-पण्डित-देवको रहनेके स्थानके रूपमें... दिया।]
[ EC, IX, Coorg tl., n* 38]
१९१
मुल्लूर-कमड़ [विना काल-निर्देशका, पर लगभग १०५० ई.]
[उसी बस्तिके प्राङ्गणमें एक पाषाणपर] खस्ति श्री गुणसेन-पण्डित-देवर अगळिसिद नागवावि नकरद धर्म