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हट्टणका लेख
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[जिनशासनकी प्रशंसा ।
जिस समय, ( उन्हीं चालुक्य पदों सहित ) भूलोकमल सोमेश्वर-देवका विजयी राज्य प्रवर्द्धमान थाः
त्रिभुवनमल एरेय - होय्सळ-देव और एचल-देवीके कुलमें उत्पन्न, स्वस्ति । जब ( अपने पदों सहित ) वीर बल्लाल देव पृथ्वीका शासन कर रहे थे:
तत्पादपद्मोपजीवी, महा सामन्त गण्डरादित्य और हुग्गियन्त्रे नाय कित्तिके सामन्त सुब्वय, सातथ्य, और बूवथ्य उत्पन्न हुए थे 1
महा सामन्त माचय्यकी प्रशंसा । उसकी कुछ उपाधियाँ। माचय्यकी उत्पत्तिका वर्णन । जिस समय सामन्त बल्लि देव ( माचय्य ) अपनी दोनों स्त्रियों और चार लड़कों सहित शान्ति और सुखसे राज्य कर रहा था;सासल बम्मथ्य और उसके दो लड़कों माणिक्य और जाकि-सेट्टिका उल्लेख । माचि-सेट्टि और उसके लड़के कालि-सेहि, फिर उसके लड़के बम्मय्यका वर्णन | माणिक नन्दि देवका उल्लेख । ( उक्त मिति को ) नखर जिनालय - के लिये (उक्त ) भूमियाँ, दस गट्ठोंका दाम, एक कोल्हू दानमें दिये गये थे ।
श्री-मूल संघ, देशिय गण, पोस्तक- गच्छ, तथा कोण्डकुन्दान्वयके नागचन्द्र- चान्द्रायणदेवके शिष्य रुणिकच्छगोण्डिदेव थे; उनकी पत्नी बोपवे, बच्चे काचवे, मलवे, मादवे, माचवे और बालचन्द्रदेव थे । कुछ सेट्टियोंने और भी कुछ भूमियाँ दीं । रोद हलोजके पुत्र बीरोजने यह शासन लिखा ।]
[EC, XII, Tiptur tl., n° 101]
१ ऊपर जो १०७८ ई० काल दिया हुआ है, वह विनयादित्य के कालका है । उसके लड़के बल्लालदेवका ( ११०१-११०४ ई० ) नहीं, और न भूलोकमल (११२६-११३८ ई० ) का ।
शि० २१