Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 02
Author(s): M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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कल्लूर गुडुका लेख
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आ-मारसिंग- देवं आद्रेबलियेम्बूरुमं बसदियाग्नेय कोणरेयिम्मूडलु गद्दे गळेय मत्तलोन्दु बेद्दले मत्तलेरडुमं बिट्टम् । माघनन्दि सिद्धान्तदेवर गुडं मारसिंग- देवं मत्तवातन तम्म प्रभाचन्द्रसिद्धान्त - देवर गुड ननिय गङ्ग-देवम् सिरियुरगे येम्बूरुममागदेयिं तेङ्कण कोळद केळगे गळेय मत्तलोन्दु बेदले मत्तलेरडुमं बिट्टम् । बर्म्म -देव सक मारसिंग नन्निय- गङ्ग ९७६ विज [य]९८७ [ विश्वाव ] सु ९९२ सौम्य । अनन्तवीर्य्य-सिद्धान्त - देवर गुडुं रकस-गंगं नन्निय-गङ्गं बिट्ट गद्देि तेङ्कल हरकेरिय सीमेवरं विट्ट गद्दे गळेय मत्तलोन्दु बेद्दले गळेय मत्तलेडुं इन्ती-वृत्ति मण्डलिय होलद भूमियिन्ती - हनेरडु मत्तल बेदलेय सीमे मूडण देसे तळवृत्तिय गद्दे । तेङ्क हरकेरिय सीमेय नट्ट कलुगळु हड्डुवल्लु पिरिवळ बडग मोरसर - कोळ मत्तं कटकद गोवं रक्स-गङ्ग हूलि - यकेरेय गद्देयुमदर सुत्तण बेदलेयुमं बिट्टनदर सीमे मूडलु चिक्कवणजिगनकेरे तेल केरेय गुड्डेय बडगद... नीर्व्वरि हडुवलु नट्ट कल्लिं बरलु गुड्डेय मूडण नीर्व्वरि बडगलु बडगण दिम्बिन नीरि चिक्कनिकेरे बडगण कोडि ॥
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मुनिचन्द्र - सिद्धान्त - देवर गुड्डम् ।
भुज-बळदिं शत्रु मही । भुज- कुजमं कित्तु मुत्ति कोण्डेगळं कोण - । डजित - बळनेनिसि गर्दै । भुजबळ - गङ्ग- क्षितीशनवनिप-तिलकं ॥ इन्तेनिसि गई भुजबळ - गंग-पेम्मडि- देवं सक-वर्ष १०२७ नेय सर्व्वजितु - फाल्गुण - मासद १ शुक्रवारदन्दु मण्डलिय पट्टद - तीर्थद बसदिय नित्य-निवेद्य-पूजेगं ऋषियग्गहार-दानकं बिट्ट दत्ति हेग्गणगिले येम्बूरं सर्व्व- बाधा - परिहारं माडि बिट्टन् ( आगेकी ३ पंक्तियों में

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