Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 02
Author(s): M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 241
________________ नशीकट्टिका लेख २९२ हूनशीकट्टि (जिला बेलगाँव ) - कचड़ [ शक १०५२ = ११३० ई० ( प्लीट ) ] [१] स्वस्ति श्रीमद्-भूलोकमल्लदेवर वर्ष ६ नेय सावा ( धा) रण संव [२] सरद फाल्गुन शु ५ आदिवारदन्दु श्रीमन्महामं[ ३ ] डलेश्वरं मारसिंहदेवरसरु अग्रहारं कोडन- पूर्व[ ४ ] दवल्लिय माणिक्यदेवर बसदिय सम्बन्धियेकसा[५] लेय- पार्श्वनाथदेवर विविधपूजाविधान के बिह [ ६ ] गद्देय सीमेय गुड्डे [ ॥ ] मङ्गलश्री [ ॥ ] [ मंगल हो । रविवार, साधारण 'संवत्सर' जो कि श्रीमान् भूलोकमलदेवका छठा साल था, फाल्गुन शुक्ला पञ्चमीको, - महामण्डलेश्वर मारसिंहदेवरसने कोडनपूर्वदवल्लि (गाँव) के माणिक्यदेव (देवता) की बसदि (मन्दिर) के एकसालेय पार्श्वनाथदेव ( भगवन्त ) की अनेकविध रीतियोंकी पूर्ति के लिये धान्य ( चावल ) के बहुतसे क्षेत्र दिये । ] [ इ० ए०, १०, पृ० १३१-१३२, नं० ९८ ] २९३ हन्तूरु- संस्कृत तथा कन्नड़ [ शक १०५२ = ११३० ई० ] [ हन्तूरु ( गोणी बीड परगना ) में, ध्वस्त जैन-बस्तिके पाषाणपर ] श्रीमत्परमगंभीरस्याद्वादामोघलाञ्छनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम् ॥ १ भूलोकमल्लका दूसरा नाम सोमेश्वर तृतीय भी है । यह राजा पश्चिमी चालुक्य वंशका है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267