Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 02
Author(s): M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 263
________________ ૪૮૮ • करहाट १४० १४३,१४४ १७० १४४ १३८ २१९ १४३ २१३ १८६ / कलिविट्टरसर २०४ कलिविष्णुवर्द्धन १२७ | कलुकरें-नाइ | कलुचुम्बर्क २०४,३०१ कल्नेके (?) देव १०२ कल्नेके देवर १७२ | कल्बप्पु तीत ११४ कल्याण कल्याणपुर १०७ कल्पकुरु १४९ कविपरमेष्टिखामि करशपीय १०८ | कसुथ १४६ कस्तूरि-भधार २२४ कळपाळ २१९ | कळंबूरनगर २६७ कळम्बडि २१९ कळिक १०६,१०८ क्येळेयन्बरसि कळालपुर ७५ ककुंहस्थ कर्णाट कईमपटि कर्नाट कर्पटि कर्पूरसेहि कर्मगलुए कर्मटेश्वर कल कलबुरि कलसराजा कलाचन्द्र-सिद्धान्त-देव कलि-गंग-देव कलि-गा कलिगङ्ग भूपति कलिग कलिंग कलिंगजिन कलिङ्ग कलिङ्ग-देश कलिदेव . कलिया कलिया-देव कलिया-नृप कलियर मनिशेहि कलि रक्कस-गङ्ग १८३ ३०१ १८६ २०४ १३८ . २१७,२८८२९९ क्षम का ९९,१०२ . २७७ २१७,२२७ काकुस्थराज २७७ काकुत्सवर्मा २५३,२९९ काकुस्थवर्म २५३ / काकेयनूरु २९९ काकोपल २६७,२९९ / काम-धर्म १२७ १०६

Loading...

Page Navigation
1 ... 261 262 263 264 265 266 267