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जैन-शिलालेख संग्रह नाम कुलचन्द्र था। ये (कुलचन्द्र) यहाँकी किसी गुफामें रहते थे और अपने गुरुकी तरह, अवश्य जैन रहे होंगे]
[T. Bloch, A SI, Annual Report 1902-1903, p. 401
नेसर्गी (जिला बेलगाँव);-काड़ [बिना काल-निर्देशका, पर ई० ११ वीं या १२ वीं शताब्दिका (फ्लीट)]
बेलगाँव जिलेके सम्पगाँव तालुकामें नेसर्गीके एक छोटेले तथा अर्द्धध्वस जैनमन्दिरकी एक खड्गासनस्थ बुद्ध-प्रतिमाके चरणपाषाणपर निनालिखित अभिलेख पुरानी कमड़के ई० ११ वीं या १२ वीं शताब्दिके अक्षरोंमें है:
श्रीमूलसंधद बलात्कारगणद श्रीपार्श्वनाथदेवर श्रीकुमुदचन्द्रभट्टारकदेवर गुड बाडिगसात्ति-सेट्टियरु मुख्यवागि नख (ग?) रङ्गळु माडिसिद नख (ग? )रजिनालय ।
[श्रीमूलसंघ बलास्कारगणके, श्रीपाश्र्धनाथदेवके श्री कुमुदचन्द्र भट्टारकदेवके शिष्य या मनुयायी बाडिगसात्ति-सेट्टि जिनमें मुख्य था ऐसे नगरके (व्यापारी लोगों) द्वारा 'नगरका जिनालय' बनवाया गया।
[IA, X, P. 189, n° 16, t. & tr.]
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ऐहोले-कड़-भन्न [विक्रमादित्य चालुक्यका २६ वाँ वर्ष, शक १०२३-११०१ ई०
(फ्लीट)] [ऐहोले गाँवके दक्षिण-पत्रिम दरवाजेके बाहर ही हनुमन्तकी आधुनिक कालकी बेदी है । इसके सामने 'ध्वजस्तम्म' नामका एक पाषाण है। इस ध्वजस्तम्भके पादुकातलमें एक वीरगल या स्मारक पत्थर बनाया गया है जिसपर पुरानी कर्णाटकभाषामें एक शिकालेख है। इस लेखकी नकल मायः Elliot MS. Collection पृ. ४.. पर दी हुई है।