Book Title: Jain Shila Lekh Sangraha 02
Author(s): M A Shastracharya
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 188
________________ जैन- शिलालेख संग्रह तत्कुल राजान्वयदोळ् सत्कविराज- प्रियावलोकनलीलोद्यत्कनका म्बुजदन्ते बृहत् किरणं सोरिगांकविभु घरेगेसेदं ॥ "2 तत्सुत रमळिन संकळजनोत्सवकर रुचिवचनरचनाळापर्मात्सर्यप्रभुसुभटमरुत्सुतरा बल्लकल्लुगामण्डबुधर् ॥ श्रीत्रधुगे भवतियन्ता भूविदितमेनल्केमानकांगियनन्ता श्रीविभुकलिदेवं बलदेवानुजनेम्ब कीर्त्तिगास्पद - नादं ॥ अळिकुळकुन्तळे कुत्रळयदळलोचने चक्रवाककुचे कनकलतोज्वळमध्ये कनकिगामण्डल सत्तत्प्रभुमनोजसति रतियन्नळ् ॥ वरचूतद्रुमवेषनोज्वळलतापुष्पांकुरोत्पत्तियन्तिरे तदपंतिगलिगे पुट्टि - दगुरु श्रीजैनधर्मोत्सवं वरभव्याळिमनोनुरागविळसबाशी चोविस्तरं परमानंदयशोधिकं निधियमं सत्पात्रदानोद्यमं ॥ श्रीधरदेव पदाब्ज श्रीधरनादोळिपनिं हृदब्जदोळीतं श्रीधरनादं निविगं साधितगुरुचरणनप्पवं पडेयुदुदें ॥ तत्पुत्रर् श्रीरमणीकनत्कनककुण्डळ रावनिताविळाससस्मेरकटाक्षवीक्षणपरपुरुषोत्तम मरुद्ध कीर्तिगळ् श्रीरम वासुपूज्यमुनिपादप योरुह भृंगरौप्पुवर्चारुगुणाद्यरागि कलिदेवलसद्बल देव || • स्वस्ति श्रीमच्चालुक्य विक्रमकालद १२ नेय प्रभवसंवत्सरद पौषकृष्ण चतुर्दशीव वारदुत्तरायण सकान्तियन्दु श्रीमन्महाप्रभु निधियमगामण्डं तन्त्र मान्यदोगे हिंडादिय होलदोळ सर्व्वबाधापरिहारागि कूण्डिय कोललित्तय्युम पनेरडु मनेयु मनोन्दु गाणमुमोन्दु तोण्टमु तळवृत्तियागि माडि कोट्टना देवसं श्रीमन्महाप्रधाण गेयिं ........ तजिनालयवन्दनार्थं बन्दु श्रीमन्महामण्डलेश्वर ......... कन्ननृपं देवरंगभोगरंगभोगक्कं खण्डस्फटितजीर्णोद्धारकं तन सीबटदोळगण त........ वणनागि माडि .......श्रीधर - पंडितदेवर श्रीपा

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