Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 5
Author(s): Bhujbal Shastri, Minakshi Sundaram Pillai
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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tion, inhibitions and brakes etc.), दिनिदर्शनाधिकरण ( Direction indicators), घण्टारवाधिकरण (Sound and acoustics), चक्रगत्यधिकरण ( Wheels, disc motions) इत्यादि ।
छठे अध्याय में मुख्य अधिकरण है वामनिर्णयाधिकरण (Determination of North)। प्राचीन भारत में मानचित्र ( map) बनाने में मानचित्र के ऊपर के भाग को उत्तर दिशा ( North) नहीं कहते थे। ऊपर की दिशा उनकी पूर्व दिशा होती थी। अतः बाई ओर या वामदिशा उत्तर दिशा कहलाती थी।
शक्ति उद्गमनाधिकरण ( Lifts, power study ), धूमयानाधिकरण (Gas driven vehicles and planes), तारमुखाधिकरण (Telescopes etc.), अंशुवाहाधिकरण ( Ray media or ray beams) इत्यादि । इसमें भी १२ अधिकरण वर्णित हैं।
सातवें अध्याय में ११ अधिकरण हैं :
सिंहिकाधिकारण ( Trickery ), कूर्माधिकरण (Amphibious planes)-कौ=जले उHः यस्य स कूर्मः।
अर्थात् कर्म वह है जा जल में गतिमान हो। पुराने काल के हमारे विमान पृथ्वी और जल में भी चल सकते थे। इस विषय से सम्बन्ध रखने वाला यह अधिकरण है।
माण्डलिकाधिकरण (Controls and governors ),
जलाधिकरण ( Reservoirs, cloud signs etc.) इत्यादि । आठवें अध्याय में :--
ध्वजाधिकरण (Symbols, ciphers), कालाधिकरण ( Weathers, meteorology ), विस्तृतक्रियाधिकरण (Contraction, flexion systems ), प्राणकुण्डल्यधिकरण ( Energy coils system ),
शब्दाकर्षणाधिकरण (Sound absorption, listening devices like modern radios),
रूपाकर्षणाधिकरण ( Form attraction electromagnetic search),
प्रतिबिम्बाकर्षणाधिकरण (Shadow or image detection ), गमागमाधिकरण ( Reciprocation etc.).
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