Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 10
________________ प्रस्तुत पुस्तक में पृष्ठ १-५५ ५९-८३ Ela ७४ ८५-१ ८७ ८८ १. प्रस्तावना २. जैन श्रत.... जैन श्रमण व शास्त्रलेखन अचेलक परम्परा व श्रुतसाहित्य श्रुतज्ञान अक्षरश्रुत व अनक्षरश्रुत " सम्यक्श्रुत व मिथ्याश्रुत सादिक, अनादिक, सपर्यवसित व अपर्यवसित श्रुत .... गमिक-अगमिक, अंगप्रविष्ट-अनंगप्रविष्ट व कालिक उत्कालिक श्रुत ३. अंगग्रन्थों का बाह्य परिचय आगमों की ग्रन्थबद्धता .... अचेलक परम्परा में अंगविषयक उल्लेख अंगों का बाह्य रूप ..." नाम-निर्देश आचारादि अंगों के नामों का अर्थ . .. अंगों का पद-परिमाण " पद का अर्थ अंगों का क्रम अंगों की शैली व भाषा ..." प्रकरणों का विषयनिर्देश ..." परम्परा का आधार ..." परमतों का उल्लेख विषय-वैविध्य जैन परम्परा का लक्ष्य ४. अंगग्रन्थों का अंतरंग परिचय : आचारांग विषय अचेलकता व सचेलकता "" ~ ~ १०५ ~ ~ ~ ~ १०८ १०९-१६९ ११३ ११४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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