Book Title: Jain Dharma ka Yapniya Sampraday
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 6
________________ [ iv ] भारती अकादमी, जयपुर दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। यह ग्रन्थ संयुक्त रूप से प्रकाशित हो इसके लिए प्राकृत भारती संस्थान के निदेशक महोपाध्याय विनयसागर जी के प्रयत्नों एवं ग्रन्थ के लेखक एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी के निदेशक डॉ० सागरमल जी की सहयोग भावना को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। ये दोनों ही संस्थाएँ सम्प्रदाय निरपेक्ष दृष्टि से जैन विद्या के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं और यही कारण था कि दोनों संस्थाओं ने सम्प्रदाय निरपेक्ष दृष्टि से लिखे गये इस ग्रन्थ के प्रकाशन का दायित्व वहन किया है और इसके प्रकाशन में आर्थिक सहयोग किया है। इस ग्रन्थ के लेखन-मुद्रण आदि का सम्पूर्ण कार्य पार्श्वनाथ विद्यापीठ में ही हुआ है, अतः ग्रन्थ के प्रकाशन की इस बेला में हम विद्यापीठ के समस्त स्टाफ और मुद्रक महावीर प्रेस के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। भवदीय देवेन्द्रराज मेहता मानद सचिव, प्राकृत भारती अकादमी जयपुर भूपेन्द्रनाथ जैन मानद सचिव, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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