Book Title: Jain Darshan me Trividh Atma ki Avdharana
Author(s): Priyalatashreeji
Publisher: Prem Sulochan Prakashan Peddtumbalam AP

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Page 8
________________ दादा श्री जिनदत्त कुशल गुरुभ्यो नमः श्री पार्श्वमणि पार्श्वनाथाय नमः श्री गणनायक सुखसागर गुरुभ्यो नमः में त्रिविध आत्मा की। की अवधारणा जैन दर्शन में दिव्याशीर्वाद: प.पू. आचार्य श्री मज्जिनकान्ति सागर सूरिश्वरजी म.सा. __ प.पू. प्रवर्तनी महोदया श्री प्रेमश्रीजी म.सा. ___ प.पू. समतामूर्ति तेजश्रीजी म.सा. आज्ञा प्रदाता: प.पू. खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिन कैलास सागर सूरिश्वरजी म.सा. शुभाशीर्वादः प.पू. उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. सम्प्रेरिका: प.पू. पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका गुरुवर्या श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. प.पू. उग्रतपस्वीरत्ना सुलक्षणाश्रीजी म.सा. लेखिका साध्वी डॉ. प्रियलता श्री मार्गदर्शन / निर्देशक : डॉ. सागरमल जैन संपादक: डॉ. ज्ञान जैन - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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