Book Title: Jain Darshan me Karma Siddhanta Ek Adhyayana
Author(s): Manorama Jain
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

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Page 8
________________ प्रकाशकीय श्री जिनेन्द्र वर्णी जी की परम शिष्या बाल ब्र० डॉ० कुमारी मनोरमा जैन द्वारा लिखित प्रस्तुत ग्रन्थ को श्री जिनेन्द्र वर्णी ग्रन्थमाला, पानीपत के द्वारा प्रकाशित करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है । यह ग्रन्थ महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक द्वारा पी०एच०डी० की उपाधि के लिए स्वीकृत किया गया शोध प्रबन्ध है । इस शोध प्रबन्ध की प्रति को जिसने भी पढा उसने ही प्रकाशित कराने का आग्रह किया और विषय तथा प्रस्तुतीकरण की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की । जिज्ञासु जनों के सप्रेम आग्रह को देखते हुए हमने इस शोध प्रबन्ध को इस ग्रन्थमाला से प्रकाशित करवाने का निर्णय लिया। हमें आशा ही नहीं पूर्ण अपितु विश्वास है कि यह ग्रन्थ शोध छात्रों के लिए, जिज्ञासुओं के लिए और कर्मबन्ध से मुक्ति पाने वाले साधकों के लिए एक विशेष दिशा का निर्देशन करेगा । इस ग्रन्थ के प्रकाशन में रोहतक निवासी स्व० श्री रघबर दयाल जैन के सुपुत्र श्री आदेश कुमार जैन (मैनेजर स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया) की धर्मपत्नी श्रीमती अशोक कुमारी जैन ने माता श्रीमती कान्ती देवी की पुण्य स्मृति में ८१०० रुपये की धनराशि प्रदान कर अपने धन का सदुपयोग किया है । १००१ रुपये की धनराशि गुप्तदान में प्राप्त हुई है । ग्रन्थमाला की ओर से हम उनका धन्यवाद करते हैं । जिनवाणी प्रचारार्थ कृत यह सहयोग अवश्य ही उनके तथा उनके परिवार के शान्ति पथ को प्रशस्त करेगा । इस ग्रन्थकी प्रूफरीडिंग में तथा अन्य सभी प्रकाशन कार्यों में ब्र० अरिहन्त कुमार जैन का सहयोग अति सराहनीय है । ग्रन्थमाला की ओर से हम उनका हार्दिक धन्यवाद करते हैं। माता सरस्वती की यह निस्वार्थ सेवा उनके साधना पथ को प्रशस्त करे, यही प्रभु से प्रार्थना है । Jain Education International 2010_03 प्रकाशक (श्री जिनेन्द्रवर्णी ग्रन्थमाला) पानीपत For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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