Book Title: Jain Darshan Bhavna Part 01
Author(s): Punyasheelashreeji
Publisher: Sanskrit Pragat Adhyayan Kendra

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Page 10
________________ (तीन) मृषानुबंधी भावना स्तेयानुबंधी भावना मैथुन संबंधी भावना परिग्रह संबंधी भावना चार कषायानुबंधी अशुभभावना क्रोधानुबंधी भावना मानानुबंधी भावना मायानुबंधी भावना लोभानुबंधी भावना कंदर्पादि संक्लिष्ट भावना कांदर्पि भावना देव किल्विषी भावना अभियोगी भावना आसूरी भावना संमोही भावना २७७-५८१ प्रकरण पाचवे : आगमोत्तर कालीन आणि आधुनिक जैन साहित्यात भावनेचे निरूपण भावनेबरोबर योग शब्दाची उपयोगिता भावनेचे महत्त्व बारा वैराग्य भावना-अनित्य भावना अशरण भावना संसार भावना एकत्व भावना अन्यत्व भावना अशुची भावना आनव भावना संवर भावना निर्जरा भावना लोक भावना बोधिदुर्लभ भावना बारा भावनांची फलश्रुती SSREP

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