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दलने को पाखण्ड लोक का, करने को जग का उद्धार प्रगट हो रहा । विश्व-गगन में, दिनकर-सम यह वीर कुमार विघट गई हिंसा की रजनी. गया अनेकों का अभिमान हुये सभी हार्षत तव इससे, बनी भूमि यह स्वर्ग-समान
(श्रीमान् वाबू छोटेलालजी जैन के सौजन्य से प्राप्त)