Book Title: Jain Bharati
Author(s): Gunbhadra Jain
Publisher: Jinwani Pracharak Karyalaya Kolkatta

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Page 11
________________ सोला (शोध) गृहणी और गहने विधवाओंकी दुर्दशा स्त्री महत्त्व पुरुषोंकी मान्यता हमारी भूल जैन समाज अस्य श्रद्धा अनमेल विवाह मल्या विक्रय वल विवाह वृद्ध विवाह मृतक भोज अन्तिम दान देखा देखी अपव्यय मात्सर्य स्वच्छन्दता नोवाजी साहित्यकी अवनति भक्ति ११६ भूचिचा खंड १६० १६१ एकता मधुर खान १६२ मनोकामना १६५ उत्तेजन १६६ स्वाधीनता " भविष्य स्त्री शिक्षा ५६७ स्थिती पालक " सुधारक " साहस १६८ देव १६९ सत्य १७० नवयुवको " छात्रगण ., जातिच्युत १७१ मुखिया , विधवा संवोधन " व्यर्थजीवन १७२ त्यागियो। १७२ धर्म धन १७३ आदेश प्रार्थना २४ तीर्थकरोकी १६७

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