Book Title: Jain Bharati
Author(s): Gunbhadra Jain
Publisher: Jinwani Pracharak Karyalaya Kolkatta

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ (घ) देव रोग दरिद्रता ८८ औषधालय ६१ पुस्तकालय दुर्भिक्ष १३ कविता व्यभिचार ६५ जन संख्याका हास ६७ सभायें और कार्यकर्ता हम व हमारे पूर्वज १८ उपदेशक धर्मकी दुहाई RE ब्रह्मचारीगण गृह कलह भट्टारक गृह स्वामी १०१ मुनिगण मूर्खता , पण्डित श्रीमान १.३ बाबू लोग श्रीमानकी सन्तान धर्मकी दशा हमारी शिक्षा ५०४ हमारी कायरता प्रतिष्ठायें और प्रतिष्ठा कारक १११ तीर्थोके झगड़े ११. मन्दिरोंका पूजन पञ्चायतें ११३ देव मन्दिरोंका हिसाब वहिष्कार ११५ निर्माल्य विक्रय बहिष्कृत १२६ जिनवाणीकी दशा समाचारपत्र ११८ स्त्रियां सम्पादक .११६ सुकुमारता संस्थायें १२० पुत्राभिलाषा ब्रह्मचर्याश्रम १२१ झातृ लिप्सा व्यायाम शालायें १२२ सासें पश्च

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 188