Book Title: Jain Bal Shiksha Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 9
________________ नवकार मन्त्र को प्राचीन काल में नमोक्कार मन्त्र भी कहते थे । नवकार महामन्त्र की महिमा ( चूलिका ) एसो पंच - नमोक्कारो, सव्व - पाव - प्पणासलो । मंगलाणं च पढमं हवद्द सव्वेसि, मंगलं || अर्थ यह पांच पदों को नमस्कार, सब पापों का नाश करने वाला है । Jain Education International संसार के सब मंगलों में ------ पहला अर्थात् श्रेष्ठ मंगल है | [ ४ ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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