Book Title: Jain Bal Shiksha Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 36
________________ "जिस काम से अपना भला हो वह धर्म है।" अपना भला कैसे हो? दूसरों का भला करने से । जैन धर्म का निचोड़ है दूसरी की भलाई सब धर्मों का सार है-परोपकार, जनसेवा "भलाई कर चलो जग में, तुम्हारा भी भला होगा वही है जैन सच्चा, जो भलाई ढला होगा ॥" ना । खुश रहना, खुश रखना, जीना और जिलाना । नाथ ! मेरे जीवन का बस, एक यही हो गाना ।" ( ३१ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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