Book Title: Jain Bal Shiksha Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 35
________________ धर्म आज कल धर्म के सम्बन्ध में बड़ा गड़बड़ झाला है। हर एक पन्थ और हर एक आदमी अपना अलग - अलग धर्म बतलाता है । सब ओर अपनी - अपनी ढपली और अपना - अपना राग है। कोई किसी काम को धर्म बताता है, तो कोई किसी काम को। - सच्चा धर्म क्या है; यह अभी बहुत कम लोग जानते हैं। क्या तुम्हें एक ही बोल में धर्म का मर्म समझना है ? अगर समझना है, तो लो बताऊँ ! याद रखना ! भूल न जाना? ( ३० ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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