Book Title: Jain Bal Shiksha Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 52
________________ गागर में सागर : लड़के की समझदारी --- श्री यशपाल जैन __ एक लड़का था। वह बड़ा सच्चा और ईमानदार था। एक दिन वह पड़ोसी के घर गया। पड़ोसी कहीं गया था। उसके यहाँ एक टोकरी में बहुत से सेब रक्खे थे। बड़े बढ़िया सेब थे। लड़के को सेब बहुत अच्छे लगते थे। लेकिन उसने उनको हाथ तक नहीं लगाया। पड़ोसी लौटा तो देखा, सारे सेब ज्यों - के - त्यों रक्खे हैं। उसने लड़के से पूछा, "क्यों, तुम्हें सेब पसंद नहीं हैं क्या ?" लड़के ने कहा, "मुझे सेब बेहद पसंद हैं। _पड़ोसी आश्चर्य चकित होकर बोला, "तो तुमने लिए क्यों नहीं ?" लड़के ने कहा- "कैसे ले सकता था ?" पड़ोसी बोला, "क्यों, इसमें क्या बात थी? कोई देखने वाला तो था नहीं।" "इससे क्या हुआ।" लड़के ने कहा, "कोई दूसरा देखने वाला हो या न हो मैं तो देख रहा था। मैं अपने को बेईमानी करते देखना हर्गिज बर्दाश्त नहीं कर सकता था !" पड़ोसी इस ब त को सुनकर गद्गद हो गया। उसने कहा, "तुम ठीक कहते हो। आत्मा सब में है और वह हमारे भले-बुरे, सब कामों को देखती रहतो है।" । ४७ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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