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प्रयाण गीत २६ जनवरी, गणतंत्र - दिवस तथा १५ अगस्त, स्वाधीनतादिवस के प्रसंग पर आप सभी दूरदर्शन के माध्यम से सैनिक टुकड़ियों या स्कूली छात्र - छात्रओं के माध्यम से राष्ट्रभक्ति से युक्त प्रयाण - गीत सुनते रहे हैं। गुरुदेव द्वारा लिखित है यह धर्म - बालकों के लिए प्रयाण - गोत। पढ़िए तो जरा आंखों की परेड के माध्यम से "!
जय जैन धर्म की बोलो, जय जैन धर्म की बोलो।
धर्म अहिंसा सबका प्यारा, हरता है जग का दु:ख सारा। प्रेम की मिसरी घोलो,
जय जैन धर्म की बोलो। त्यागो वैर, विरोध, बुराई, करो सभी की सदा भलाई । मन की कुण्डो खोलो। जय जैन धर्म की बोलो। .
महावीर का नाम सुमरना, जीवन का पथ उज्ज्वल करना । पाप कालिमा धो लो,
जय जिनेन्द्र की बोलो । अनेकान्त की ज्योति जगाना, पक्षपात का भाव हटाना । अमर सच्चाई तोलो, जय जैन धर्म की बोलो ।
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