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"जिस काम से अपना भला हो वह धर्म है।"
अपना भला कैसे हो? दूसरों का भला करने से ।
जैन धर्म का निचोड़ है दूसरी की भलाई सब धर्मों का सार है-परोपकार, जनसेवा
"भलाई कर चलो जग में,
तुम्हारा भी भला होगा वही है जैन सच्चा, जो
भलाई ढला होगा ॥"
ना ।
खुश रहना, खुश रखना,
जीना और जिलाना । नाथ ! मेरे जीवन का
बस, एक यही हो गाना ।"
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