Book Title: Jain Bal Shiksha Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 26
________________ : १० : वीर भामाशाह बादशाह अकबर से हार कर महाराणा प्रताप, एक सघन जंगल में चले गए। वे एकान्त में बैठे - बैठे चिन्ता कर रहे थे। उस समय एक वृद्ध, किन्तु हृष्ट पुष्ट आदमी आता दिखाई दिया। उसने आते ही कहा--"जय हो, महाराणा प्रताप की।" महाराणा ने आँख उठाकर उसे देखा। आने वाले की आँखों से टपाटप आंसू गिर रहे थे। उसने महाराणा के पाँव पकड़ कर कहा- “महाराणा जी ! आप इतने चिन्तित क्यों हो रहे हैं ?" महाराणा ने उत्तर दिया- "भामाशाह मैं क्या बताऊँ । इस समय तो खाने को अन्न का एक दाता तक नहीं रहा । बच्चे और सिपाही सब भूखे मर रहे हैं। ऐसी अवस्था में शत्रु से लड़ना भला कैसे बने ?" ( २१ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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