Book Title: Jain Bal Shiksha Author(s): Amarmuni Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 4
________________ प्रकाशक की ओर से जैन बाल शिक्षा का यह चौथा भाग पाठकों के हाथों में पहुँचाते हुए हमें अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। । जैन विद्यालयों में बालकों को धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा देने वाली पुस्तकों की माँग बहुत दिनों से चल रही थी। __श्रद्धेय श्री उपाध्यायजी ने नवीन बाल-मनोविज्ञान की पद्धति के अनुसार विशुद्ध असाम्प्रदायिक धरातल पर जैन-बाल-शिक्षा (चार भाग) का प्रणयन करके जहाँ इस बड़ी कमी को दूर किया है, वहाँ जैन-जैनेतर विद्यार्थियों पर बहुत बड़ा उपकार भी किया है। संक्षेप में, सरल तथा सरस ढंग से धार्मिक तथा नैतिक शिक्षा की संयोजना इस पुस्तक में की गई है, वह सर्वत्र आदर के योग्य होगी। बस, इसी विश्वास के साथ मन्त्री, सन्मति ज्ञानपीठ बारहवें संस्करण के बारे में जैन-बाल-शिक्षा (चारों भाग) जैन-विद्यालयों में जिस रुचि एवं आदर के साथ अपनायी जा रही है, उसे देखकर हमें अत्यन्त प्रसन्नता है। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, देहली, पंजाब, हरियाणा तथा जम्मू-काश्मीर आदि प्रान्तों के जैन विद्यालयों में धार्मिक एवं नैतिक शिक्षण के लिए यह अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई है। यही कारण है| कि इसकी माँग निरन्तर बढ़ती ही जा रही है। चतुर्थ भाग का यह बारहवाँ संस्करण इसी बात का प्रमाण है। आशा है, इससे अन्य विद्यालयों के व्यवस्थापक एवं अध्यापक गण भी प्रेरणा लेकर इसे अपने विद्यालयों के पाठ्यक्रम में स्थान देंगे। मन्त्री, सन्मति ज्ञानपीठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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