________________ श्री रोहिणी व्रत कथा [55 ******************************** सातवें नर्क गया। वहांसे तेतीस सागर दु:ख भोगकर निकला। सो अनेक कुयोनियोंमें भ्रमण करता हुआ तूने एक वणिकके घर जन्म लिया। सो अत्यन्त घृणित शरीर पाया। लोग दुर्गन्धके मारे तेरे पास न आते थे। ____तब तूने मुनिराजके उपदेशसे रोहिणीव्रत किया, उसके फलसे तू स्वर्गमें देव हुआ। और फिर वहांसे चयकर विदेह क्षेत्रमें अर्ककीर्ति चक्रवर्ती हुआ वहांसे दीक्षा ले तप करके देवेन्द्र हुआ। और स्वर्गसे आकर तू अशोक नामक राजा हुआ है। राजा अशोक यह वृत्तांत सुनकर घर आया और कुछ कालतक सानन्द राज्य भोगा। पश्चात् एक दिन वहां वासुपूज्य भगवानका समवशरण आया सुनकर राजा वन्दना को गया और धर्मोपदेश सुनकर अत्यन्त वैराग्यको प्राप्त हो श्री जिन दीक्षा ली। रोहिणी रानीने भी दीक्षा ग्रहण की। ____ सो राजा अशोकने तो उसी भवमें शुक्लध्यानसे घातिया कर्मोका नाश कर केवल ज्ञान प्राप्त किया और मोक्ष गये और रोहिणी आर्या भी समाधिमरण कर स्त्रीलिंग छेद स्वर्गमें देव हुई। अब वह देव वहांसे चयकर मोक्ष प्राप्त करेगा। इस प्रकार राजा अशोक और रानी रोहिणी, रोहिणीव्रतके प्रभावसे स्वर्गादिके सुख भोगकर मोक्षको प्राप्त हुए व होंगे इसी प्रकार अन्य भव्य जीव भी श्रद्धासहित यह व्रत पालेंगे वे भी उत्तमोत्तम सुख पावेंगे। व्रत रोहिणी रोहिणी कियो, अरु अशोक भूपाल। स्वर्ग मोक्ष सम्पति लही, 'दीप' नवावत भाल॥