Book Title: Jagadguru Shree Hirvijaysuriji ka Puja Stavanadi Sangraha
Author(s): Ratanchand Kochar
Publisher: Charitra Smarak Granthmala
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( ५ ) को प्रतिबोध देने के लिये सूरिजी ने गंधार-बंदर से बिहार किया, बिहार कर के जब आप “वडदलु" गांव आये तब स्वप्न में शासन देवी ने प्रत्यक्ष आकर कहा आप खुशी से वादशाह के पास जाइए महानलाभ एवं शासनप्रभावना होगी सूरिजी अनुक्रम से अहमदावाद प्राय; अहमदाबाद के सूबेदार सिताबस्वां ने सूरिजीमहाराज को मानपूर्वक अपने पास बुलाकर बहुतही सत्कार सम्मान किया सूरिजी ने इनको धर्मोपदेश दिया; वहां से विहार करते हुए आप अनेक सूबेदार, और राजानों को प्रतिवोधदेते हुए सरात्तर (सरोत्रा) पधारे; वहां के भिल्लराजा सहसार्जुन ने सूरिजो महाराज का बहुत आदर सत्कार किया, और सूरिजी महाराज के उपदेश से शराव, मांस और परस्त्री का त्याग किया साथ में अन्य भिलों ने भी त्याग किया, सूरिजी वहां से आबू की यात्रा करके शिरोही पधारे, शिरोही के देवडा राजा सुरत्राण ने सूरिजी का बहुमान पूर्वक प्रवेशोत्सव कराया; और राय सुरत्राण नेसह कुटुम्ब शराब, मांस आदि का परित्याग किया। ऐसे ही नागोर के सूबेदार को भी प्रतिबोध देकर; फलोधी तीर्थ की यात्रा करते.हुए सांगानेर आदि होकर वि०सं.१६४० के प्रासाद बदि १३ (गु० जेठ बर्बाद १३) फतेहपुरसीकरि पधारे।प्रथम मुलाकात सम्राट अकबर के मुख्य मन्त्री अबुलफजल से हुई, और बाद में सविनय पूर्वकसम्राट ने भीसूरिजी के दर्शन किये, प्रथम मुलाकात में ही बादशाह पर सूरिजी का अच्छा प्रभाव पड़ा, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com